आख़री पैग़ाम - The Media Houze

था, मैं जब तक तेरा हमसाया तुझे हुआ ना यकीं,
अब जो गुज़र गए हम तो, तुझे हुई मोहब्बत शदिद,
जाते-जाते जानां बस इतना हैं, तुमसे कहना,
रूह को मेरी तुम अपने प्यार से लपेट लेना,
जुदा हो जाये अगर कभी तो, मेरी राख को समेट लेना