खंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए - The Media Houze

सिर्फ खंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए, ऐ खुदा दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए

शहर की सारी आलिफ-लैलाएं बूढ़ी हो चुकी, शहजादे को कोई ताजा कहानी चाहिए

मैंने ऐ सूरज तुझे पूजा नहीं समझा तो है, मेरे हिस्से में भी थोरी धूप आनी चाहिए

मेरी कीमत कौन दे सकता है इस बाजार में, तुम जुलेखा हो तुम्हें कीमत लगानी चाहिए

जिंदगी है एक सफर और जिंदगी की राह में, जिन्दगी भी आए तो ठोकर लगानी

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया, एक समुंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए