“एक रास्ता बंद होता है, तो हजार रास्ते खुलते हैं”….ये महज कहावत नहीं बल्कि बेहतर जिंदगी जीने का सबसे अच्छा नजरिया है…दुनिया में ऐसी कई मिसाले हैं जब असफलता को लोगों ने पहली सीढ़ी बनाई और ऊंचाईयां हासिल की और आज वो सबसे कामयाब लोगों में से एक हैं।
कई बार छात्र इन छोटी असफलताओं को इतनी गंभीरता से लेते हैं कि गलत कदम उठा लेते हैं. परीक्षा में फेल होना जिंदगी में फेल होना नहीं है. उदाहरण भरे पड़े हैं, जो परीक्षा में फेल हुए लेकिन जिंदगी में ऐसी सफलता हासिल कर ली. आज उनकी उस असफलता का जिक्र सिर्फ उदाहरण के लिए होता है.
महात्मा गांधी और आइंस्टीन दोनों स्कूल के दिनों में पढ़ाई में सामान्य छात्र थे. आइंस्टीन को तो मंदबुद्धि बालक माना जाता था. उनके शिक्षक ने तो यहां तक कह दिया था कि ये लड़का जिंदगी में कुछ नहीं कर पायेगा. और उसे स्कूल में पढ़ाने से इंकार कर उसे स्कूल से निकाल दिया. जिसे बाद में मां ने पढ़ाया. आइंस्टीन जब बड़े हुए और जब पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट में प्रवेश के लिए परीक्षा दिया तो वहां भी फेल हो गये. लेकिन आज उनके आई क्यू की मिसाले दी जाती है.
इसी तरह महात्मा गांधी भी एक औसत छात्र थे. बाद में वह वकालत की पढ़ाई करने लंदन गये. कानून की पढ़ाई करने के बाद जब वकालत शुरु की तो कोई सफलता नहीं मिली. लेकिन आज उनका जीवन दर्शन पूरी दुनिया लिए एक उदाहरण है. इसलिए जीवन के किसी मोड़ पर मिली हार, हमेशा के लिए नहीं होती. हार ही जीत है और जीत ही है हार.
अगर आप कहीं हार जाते हैं तो फिर उसे जीतने की जिद और बढ़ जाती है और दूसरी बार और अच्छी तरह से कोशिश करते है और उसे कामयाबी से बेहतर मुकाम हासिल करते है. ठीक इसी तरह से अगर कोई जीत जाता है तो फिर वो जीत के खुशफहमी में मगन होकर जब कुछ भूल जाता है और आगे बढ़ने से रुक जाता है. खरगोश और कछुए की कहानी जैसी ही हमारी जिंदगी है. अगर रुक गये तो हार गये. और जो चलता रहा वही सिकंदर बना