जम्मू कश्मीर में 6-6 महीने वाली राजधानी अब नहीं, 149 साल साल पुरानी परंपरा पर लगी ब्रेक - The Media Houze

हर साल गर्मी जम्मू के VVIP इलाके में दरबार मूव में शामिल सरकारी कर्मचारियों के स्वागत में ऐसे ही पोस्टर लगाए जाते हैं, लेकिन अब से ऐसे पोस्टर नहीं लगेंगे, क्योंकि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 149 साल पुरानी परंपरा पर ब्रेक लगा दिया है । यानी अब जम्मू कश्मीर में दो-दो राजधानी वाली परंपरा बंद कर दी गई है । दरअसल जम्मू कश्मीर में सर्दी के वक्त राज्य की राजधानी जम्मू बन जाती है और जब गर्मी पड़ती है तो राजधानी श्रीनगर बन जाती है । यानी गर्मियों में सरकार श्रीनगर से ही चलती है । छह महीने जम्मू और छह महीने श्रीनगर.राजधानी बदलने की इसी प्रक्रिया को दरवार मूव कहा जाता है । नया जम्मू कश्मीर बनाने की कड़ी में अब दरबार मूव की घिसीपिटी परंपरा को अब खत्म कर दिया गया है ।

जम्मू कश्मीर में दरबार मूव का इतिहास भी आपको जानना चाहिए ।

– जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच प्रशासकीय तालमेल बढ़ाने के मकसद से राजधानी बदलने की परंपरा डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह ने वर्ष 1872 में शुरू की थी ।
– तब महाराजा का दरबार अप्रैल में गर्मियों के महीने श्रीनगर में सजता था
– और अक्टूबर से 6 महीने के लिए दरबार जम्मू में शिफ्ट हो जाता था ।
– इस व्यवस्था को डोगरा शासकों ने वर्ष 1947 तक जारी रखा ।
– वर्ष 1947 में जब जम्मू कश्मीर का भारत मे विलय हुआ तब भी दरबार मूव की व्यवस्था को जारी रखा गया

इस दौरान हर 6-6 महीने पर राजधानी बदलने पर पूरी सरकारी मशीनरी को श्रीनगर से जम्मू और जम्मू से श्रीनगर शिफ्ट करना पड़ता था । इसकी वजह से राज्य सरकार को काफी खर्च करना पड़ता था । एक अनुमान के मुताबिक राजधानी बदलने के दौरान 7 से 8 हज़ार कर्मचारी एक से दूसरे जगह आते थे । उनके रहने के लिए सरकारी क्वार्टर को सजाया-संवारा जाता था ।
ऐसे कर्मचारियों को दरबार मूव के लिए 25 हजार रुपए का भत्ता भी दिया जाता था । आफिस के रिकॉर्ड शिफ्ट करने, सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर भी खर्च होता था । आंकड़ों के मुताबिक दरबार मूव की वजह से राज्य के खजाने से 200 करोड़ रुपए हर साल खर्च होते थे . अब उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के इस फैसले से राज्य सरकार को 200 करोड़ रुपए की बचत होगी । इसी के साथ उपराज्यपाल ने सभी दरबार मूव कर्मचारियों को सरकारी आवास 21 दिन में खाली करने का आदेश दिया है । इस फैसले से सरकारी कर्मचारी काफी खुश हैं ।

दरबार मूव की परंपरा खत्म होने से सरकारी कर्मचारी खुश हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों को फिजूल खर्ची रोकने की योजना पसंद नहीं आ रही है । पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस पर भी अपनी आपत्ति जता दी है । उन्होंने ट्वीट किया है कि दरबार मूव रोकने का केंद्र सरकार का कदम मूर्खतापूर्ण हैं । इसका आर्थिक और सामाजिक लाभ गर्मी और सर्दियों के दौरान राजधानी बदलने पर किए गए खर्च से अधिक है । इससे पता चलता है कि ऐसा गैरसंवेदनशील फैसला उन लोगों ने लिया है जिन्हें जम्मू-कश्मीर के हितों की परवाह नहीं है । जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल ने सरकारी कामकाज में डिजिटलाइजेशन बढ़ाने का भी आदेश दिया है, ताकि आम लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पडे । इससे एक फायदा ये भी होगा कि सारी फाइलें ऑनलाइन होंगी और समय की बचत होगी ।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से सरकारी और प्रशासनिक तंत्र को ठीक करने की कोशिश हो रही है । पहले जम्मू कश्मीर के सरकारी इमारतों से उसका अलग झंडा हटाया गया, उसके बाद केंद्र सरकार की योजनाओं को जम्मू कश्मीर के आम लोगों तक पहुंचाया गया और अब दरबार मूव खत्म करके प्रदेश सरकार ने प्रदेश की जनता और सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है ।