देश की फिजाओं में इन दिनों अलग की माहौल बना हुआ है. जिस दौर में लोग अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं उस दौर में हमारे राजनेता धर्म के नाम पर एक दूसरे को लड़ाने में लगे हैं, फूट डालो और शासन करें अंग्रेजो से सुना था, आज के वक्त में राजनीतिक पार्टियां उसे खुलेआम कर रही है. लोगों को आपस में लड़ा रही है और हम लड़ रहे हैं. ये वो राजनीतिक पार्टियां हैं जिन्होंने कभी किसी के लिए कुछ नहीं किया, हां ये जरुर है कि इस तरह से नफरत फैलाने से इनकी पार्टी जरुर बड़ी हुई है इन्हे चंदा जरूर भरपूर मिला है. जिससे इनकी दुकानदारी आगे बढ़ी है लेकिन आम लोगों को कुछ नहीं मिला, भला आजान और हनुमान चलिसा को मुद्दा बना कर किसे फायदा हुआ है. इससे ना तो धर्म बड़ा होगा, ना ही इसके नाम पर झंडा उठाने वाले लोग, सो कॉल्ड पार्टी कार्यकर्ता, हां इनका इस्तेमाल कर पार्टी के नेता जरुर बड़े हो गए, महाराष्ट्र में इन दिनों राज ठाकरे आजान को लेकर हनुमान चलिसा पढ़ने की बात नहीं कर रहे हैं बल्की धमकी दे रहे हैं, अब भला कोई बताएगा कि इससे महाराष्ट्र के इस इंसान का फायदा होगा, या धर्म के इस लोगों को कुछ मिलेगा, भाई तुम्हे धर्म की इतनी ही चिंता है तो कम से कम अपने आस पास के लोगों को ही कुछ रोजगार दे दो, देश में स्वास्थ्य शिक्षा का इतना बुरा हाल है कि लोग इलाज की कमी से मर रहे हैं, शिक्षा नहीं मिलने से लोग अनपढ़ गवार रह रहे है. लेकिन इन सबके लिए कुछ करना नहीं है, सही है भी अगर लोग पढ़ लिख लेंगे तो इनका झंडा कौन उठाएगा, इनके लिए लड़ेगा कौन
इसलिए ये नेतागण ना तो शिक्षा को बढ़ाना चाहते हैं और ना ही स्वास्थ्य के लिए, देश का नागरिक जब तक इन चंगुलों में फंसा रहेगा, बेचारा किसी से क्या सवाल करेगा