भारतीय संविधान में IPC धारा 375 में दुष्कर्म के अपराध को परिभाषित किया गया है. धारा 375 के तहत अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स करता है तो वो बलात्कार कहा जाएगा, अगर संभोग कि क्रिया पूरी नहीं हुई है तो भी वो अपराध रेप की क्षेणी में ही रखा जाएगा. यहां बलात्कार का आरोपी महिला का पति भी हो सकता है अगर पति ने भी पत्नी की मर्जी के बगैर संभोग किया तो वो भारतीय कानून के तहत रेप की श्रैणी में आता है.
भारतीय कानून में रेप को अपराध के गंभीर श्रैणी में रखा गया है. भारत में अगर किसी महिला के साथ बलात्कार होता है तो कानून के मुताबिक रेप के आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत मुकदमा चलता है और धारा के तहत अपराधी को कड़ी सजा का प्रावधान है. इस अपराध में दोषी पाए जाने के बाद अपराधी को कम से कम 5 साल की सजा और अधिकतम 10 साल की सजा सुनाई जाती है.
भारतीय कानून मे दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध को अलग अलग हालात और श्रेणी के मुताबिक अलग अलग धाराओं में विभाजित किया गया है. संविधान में IPC की धारा 375, धारा 376, 376क, 376 ख, 376ग और 376घ के भागों में विभाजित किया गया है.
1) अगर कोई शख्स किसी महिला की मर्जी के बगैर, बिना उसकी इजाजत के, उसे डरा धमका कर या शराब या किसी भी तरह से नशीला पदार्थ लेने से अपना होश खो चुकी महिला के साथ संभोग करता है तो ये सारी हरकतें बलात्कार की क्षेणी में सघन अपराध है
2 ) अगर किसी लड़की की उम्र 16 साल से कम है तो उसकी सहमति या बिना सहमति से होने वाला संभोग भी रेप ही कहा जाएगा.
3) अगर कोई पुरुष जिसकी पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम है और उसका पति उसके साथ संभोग करता है तो वो भी बलात्कार माना जाएगा.
4) अगर किसी भी संस्था या विभाग का अधिकारी या कर्मी अपने पद, अपनी शासकीय पावर या स्थिति का फायदा उठका कर अपने अधीन महिला कर्मी के साथ संभोग करता है तो वो भी बलात्कार माना जाएगा.
5) अगर कोई शख्स दिमागी तौर पर कमजोर या किसी पागल महिला को धोखा देकर और होश में नहीं होने पर संभोग करता है तो वो भी रेप माना जाएगा
6) जेल में अगर अधिकारी किसी महिली कैदी के साथ संभोग करता है तो वो भी रेप माना जाएगा
7) अस्पताल में कोई भी स्वास्थ्य कर्मी हो, अगर वो अस्पताल में किसी महिला के साथ संभोग करेगा तो वो भी बलात्कार माना जाएगी
सभी तरह के अपराधों के लिए कानूनी की नजर में अलग अलग हालातों को देखते हुए अलग सजा है. जिसमें 5 साल से लेकर 10 साल की सजा है और विशेष केस में अदालत और भी सजा सुना सकती है।
ये लेख दरभंगा के वरिष्ठ वकील रौनक हुसैन से बातचीत के आधार पर लिखी गई है