देश में डेल्टा प्लस का दायरा अब 12 राज्यों तक फैल चुका है । इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र ने पहले ही राज्यों को चिट्ठी लिख दी है । यूपी में भी इस वायरस को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है । पीजीआई के निदेशक आरके धीमन ने बताया कि डेल्टा प्लस से सावधानी बेहद ज़रूरी है क्योंकि वेरिएंट ने असर दिखाया तो स्थिति काफ़ी खराब हो सकती है । लेकिन इस वायरस के बचाव का अलर्ट देने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग इसकी जीनोम सीक्वेंसिंग पर भी काम कर रहा है । लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में इसे लेकर रिसर्च की जा रही है । यहां देश के अलग अलग राज्यों से मरीजों का सैंपल लाकर ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कोरोना वायरस और कितने रूप बदल सकता है ।
रिसर्च में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि कि डेल्टा से डेल्टा प्लस वेरिएंट बहुत ज्यादा अलग नहीं है । और ये कितना घातक साबित हो सकता है इसका अनुमान लगा पाना अभी मुश्किल है । तीसरी लहर को लेकर यूपी सरकार ने अभी से कमर कस ली है मेडिकल व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है डेल्टा प्लस वैरीअंट के बारे में रिसर्च भी चल रही है लेकिन लोगों को अभी से सतर्क रहना होगा ताकि प्रदेश में दूसरी लहर जैसी स्थिति ना बन सके।
मध्यप्रदेश में भी डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले लगातार आ रहे हैं । ऐसे में राज्य सरकार ने फैसला किया है कि हर ज़िले से इकट्ठा किए गए सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा ।
राजस्थान सरकार भी डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर गंभीर हो गई है । कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का काम व्यापक स्तर पर शुरू कर दिया गया है और माइक्रो कंटेनमेंट जोन बना दिए गए हैं ताकि संक्रमण का प्रसार बिल्कुल ना हो । जयपुर के SMS मेडिकल कॉलेज में जीनोम सिक्वेंसिंग का काम शुरू कर हो गया है । जहां सैंपल्स की जांच कर के तुरंत पता चल सकेगा कि नया वेंरिएंट कौन सा है ।
कोरोना की दूसरी लहर में जो गलतियां हुईं उसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारें अभी से तीसरी लहर की तैयारी में जुट गई हैं । खासकर कोरोना के इस नए वेरिएंट डेल्टा प्लस को रोकने के लिए जो भी उपाय हो सकता है किया जा रहा है । लेकिन राज्य सरकारों के साथ साथ हमारी आपकी भी ये ज़िम्मेदारी बनती है कि मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग रखने जैसे नियमों का पालन करें । क्योंकि कोरोना से पूरे देश को लड़ना है ।