कश्मीर में आतंकवाद को लेकर राजनीतिक पार्टियों की घिनौनी सोच, जो देश को कर रहा है खोखला - The Media Houze

कश्मीर में सुरक्षाबल आतंकवाद को जड़ से मिटाने के अभियान में जुटे हैं। लेकिन आंतकवादी मौका पाकर आम नागरिकों की हत्या कर रहे हैं. अब इस पर राजनीति गरमाने लगी है. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं. वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है हमले कश्मीरियों को बदनाम करने की साजिश है. मजदूरों की हत्या को लेकर बिहार में भी विपक्ष नीतीश सरकार को घेर रहा है. लेकिन सवाल ये कि आतंकवाद से लड़ाई पर भी सियासत आखिर क्यों. लड़ाई आतंकवाद से है या सरकार से ?

कश्मीर में 24 घंटे में 4 प्रवासी मजदूरों की हत्या को लेकर घाटी से लेकर बिहार तक सियासत गरमा गयी है। कश्मीर के नेता जहां प्रवासी मजूदरों की हत्या पर शोक जता रहे हैं वहीं लगे हाथ सरकार को भी निशाने पर ले रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आतंकी हमले में नागरिकों की हत्या की निंदा की है। वहीं उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश में लोगों की हत्या की हालिया घटनाओं में कश्मीरी शामिल नहीं हैं और ये हमले कश्मीरियों को बदनाम करने की साजिश के तहत किए गए हैं।

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने घाटी में टारगेट कीलिंग के लिए केंद्र की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि कहा कि भारत सरकार कब महसूस करेगी कि उसकी ग़लत नीतियों से आम आदमी मर रहा है? वहीं AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि आखिर कब तक मजदूरों की हत्या और सैनिकों की शहादत होगी।

बीजेपी नेता रविंद्र रैना ने कहा है कि आतंकियों को चुन-चुन कर मारा जायेगा. वहीं बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज़ हुसैन ने कहा है कि हत्याओं के पीछे पाकिस्तान है. जो कश्मीर में लौटता अमन-चैन देख नहीं पा रहा है। प्रवासी मजदूरों की हत्या पर बिहार में भी सियासत भी शुरू हो गई है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों की हत्या के लिये नीतीश को भी ज़िम्मेदार बताया है। वहीं चिराग पासवान ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए बिहार से पलायन का मुद्दा उठाया है। कश्मीर में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से बौखलाए आतंकी निर्दोष नागरिकों की टारगेट किलिंग कर रहे हैं. ऐसे में होना तो ये चाहिए था कि राजनीतिक दलों के नेता एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते. कश्मीर में अमन-चैन के दुश्मनों को अपने अंजाम तक पहुचाने की बात करते. लेकिन इसके उल्ट वो आम नागरिकों की हत्याओं पर सियासत करने में लगे हैं।