अगर कोई वकील परेशान करे तो फिर उस वकील के खिलाफ शिकायत कहां दर्ज कराएं ? जब देश में कहीं भी कहीं कुछ गलत होता है और उस शख्स को लगता है कि उसके साथ अन्याय हो रहा है और कोई उसकी मदद नहीं करने वाल तब अक्सर लोग कहते हैं कि मैं तुम पर केस कर दूंगा, मैं तुम्हें कोर्ट में देख लूंगा. लेकिन क्या हो जब कोर्ट में लोगों को इंसाफ दिलाना की लड़ाई लड़ने वाला वकील ही गलत निकल जाएं. वैसे तो वकील का काम है सच और इंसाफ के लिए लड़ना. लोगों को उनका हक दिलाना. लेकिन कई बार ऐसा भी देखा गया है कि कुछ वकील अपने पेशे के मकसद से भटक कर गलत रास्ते पर निकल जाते हैं और अपने काले कोर्ट के रौब में, पावर में अन्याय और अनर्थ करने लगते हैं. लोगों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देने लगते हैं. कानून के दांव पेंच में उलझा कर परेशान करने लगते हैं. कई बार तो अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने से भी पीछे नहीं हटते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि फिर उस वकील के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई की जा सकती है या क्या ऐसे वकील से समाज को और न्यायपालिका की हो रही खराब छवि से बचाया जा सकता है. तो इसका जवाब है हां. हां जी हां. इस देश में अगर कोई शख्स कानून के खिलाफ काम करता है तो उस शख्स के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. चाहे वो देश के किसी भी उच्य पद पर, किसी भी पावर में हो, कार्रवाई की जा सकती है. सजा दिलाई जा सकती है. ताकतवर से ताकतवर लोग, मंत्री, संत्री, मुख्यमंत्री तक जेल की हवा खा चुके हैं. इसी तरह से अगर कोई वकील भी गैरकानूनी काम कर रहा है. किसी को बेवजह परेशान कर रहा है तो फिर उसके खिलाफ कार्रवाई कर उसका लाइसेंस रद्द कराया जा सकता है. उसपर भी केस कर सलाखों के पीछे भेजवाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि आखिर ऐसे वकील के खिलाफ कहां और कैसे शिकायत कर सकते हैं। किसी भी वकील के खिलाफ शिकायत, उस अधिवक्ता के पेशा को लेकर हो सकता है. या फिर वो किसी के साथ किसी भी तरह से गलत कर रहा है या फिर किसी तरह की धमकी दे रहा है. कानून का धैंस दिखाकर डरा रहा है परेशान कर रहा है. किसी भी तरीके का दुराचार, अनुचित व्यवहार कर रहा है तो उसे लेकर भी वकील की शिकायत की जा सकती है. कहां करें शिकायत ? किसी भी वकील के खिलाफ शिकायत करने के लिए सबसे पहले जिस राज्य और जिस जिले में वो परैक्टिस करता है वहां के बार काउंसिल में लिखित रुप में शिकायत दर्ज कराई जाती है. शिकायत मिलते ही स्टेट बार काउंसिल उस वकील के खिलाफ अपनी अनुशासन समितियों में से किसी एक के पास शिकायत के मामले को भेज देती है. जहां उस वकील के खिलाफ जो भी शिकायत है उसकी जांच होती है और फिर बार काउंसिल जांच के आधार पर उस वकील के खिलाफ कार्रवाई करती है. वकील की गलत हरकतों से कई बार उसका लाइसेंस भी रद्द कर देती है. कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि किसी वकील की शिकायत नहीं मिलने पर भी, जब कहीं से बार काउंसिल को इसकी जानकारी मिलती है कि कोई वकील अपने काले कोर्ट का गलत इस्तेमाल कर रहा है. वकीलों की छवि खराब कर रहा है, तो फिर ऐसे में बार काउंसिल बिना किसी की शिकायत के खुद से मामले का संज्ञान ले लेती है और उस वकील के खिलाफ कार्रवाई करती है. शिकायत होने के बाद एक वर्ष से अधिक होने पर अगर मामला State Bar Council में लंबित रहता है तो फिर ये मामला Bar Council of India में स्थानांतरिरत हो जाता है। अगर शख्स State Bar Council के फैसले से संतुष्ट नहीं हो तो वो 60 दिनों के अंदर Bar Council of India में अपील कर सकता है। अगर वो शख्स Bar Council of India के फैसले से भी संतुष्ट नहीं हो तो फिर वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है। बार काउंसिल वकील को कैसे और क्या क्या सजा देती है. सबसे पहले जब जिस वकील के खिलाफ शिकायत दर्ज होती है तो स्टेट बार काउंसिल उस वकील की शिकायत को अपने ही किसी एक समिति को सौंप देती है. जिस समिति में राज्य के एडवोकेट जनरल भी मौजूद रहते ह . शिकायत के बाद उस वकील को समिति पूछताछ के लिए बुलाती है. जहां उसे खुद के बचाव करने का मौका देती है. उसे अपने बारे में और संबंधित शिकायत पर क्या कहना है वो सुनती है. और फिर उसके आधार पर निम्नलिखित कार्रवाई कर सकती है. 1 दोनों पक्ष यानि शिकायत करने वाला और वकील की बात को सुनकर समिति उस वकील को फटकार लगा सकती है। 2 कुछ समय के लिए उस वकील का लाइसेंस रद्द कर सकती है। 3 उस अधिवक्ता को निलंबित कर सकती है। 4 राज्य की सूचि ( रौल) से उस अधिवक्ता का नाम हटा सकती है। 5 दर्ज की गई शिकायत को जांच के आधार पर खारिज भी कर सकती है।