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बिहार में शिक्षा माफियाओं का फंडाफोड़, कैसे होती है करोड़ों की उगाही - The Media Houze

शिक्षा माफियाओं ने देश का बंटाधार कर दिया है. हर जगह पर इनकी धांधली चलती रहती है. कहीं परिक्षा के नाम पर पूरा का पूरा रैकेट चलाते हैं, जिसमें पैसे के दम पर किसी को भी परिक्षा में पास कराने की गारंटी देकर लाखों करोड़ो रुपये वसूलते हैं तो कही नौकरी में धांधली करते पाए जाते है. हद तो तब हो गई जब किसी तरह से कोई छात्र सरकारी नौकरी पा जाए. खासकर सरकारी स्कूल में शिक्षक बन जाए तो ये माफिया यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ते हैं और यहां भी कई तरह का शोषण करते हैं. हैरत की बात तो ये है कि सरकारी स्कूल में सरकार की तरह से आने वाले लाखों करोड़ों के फंड में तो ये लोग धाधली करते ही है. महिला शिक्षक. खासकर जो कमजोर परिवार से आती हैं. यहां कोई कमजोर बैकग्राउंड से आने वाले पुरुष शिक्षक उनका ये भरपूर शोषण करते हैं. ये माफिया इतने शातिर हैं कि इन्होंने अपने रैकेट को शुचारु रुप से चलाने के लिए कई बड़े बड़े अधिकारी को शामिल कर लिया है. जिसका काम शिक्षकों पर निगरानी करना है या जो अधिकारिक रुप से शिक्षकों के काम काज का हिसाब रखते है. वैसे अधिकारी को सालाना करोड़ों का लालच दिखा कर के शिक्षकों का ही शोषण करते हैं और कराते हैं. कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले शिक्षक, खासकर महिला शिक्षक जो सरकारी ऑफिस, विभागिय कार्यालय में भागने दौरने में ज्यादा सक्षम नहीं होती, उन्हे ततह तरह से डराते हैं. नौकरी खा जाएंगे, सस्पेंड कर देंगे कुछ ऐसी धमकी देकर हर महीने कुछ ना कुछ पैसे ऐंठते रहते हैं. एक तरह से कहें तो शिक्षा माफियाओं ने पूरे के पूरे सरकारी स्कूलों पर कब्जा कर रखा है. अपने रैकेट के चलाने के लिए हर किसी को बड़े अधिकारी से अपना लिंक दिखाकर उन्हें डराते रहते हैं. हर स्कूल के शिक्षकों पर शिकंजा कसने के लिए कई बार ये कुछ स्कूल से शिक्षकों में से ही किसी ना किसी को दलाल बनाकर खड़ा कर देतें हैं. इस काम में कई बार ये कुछ स्कूल के प्रिंसिपल को भी अपने साथ मिला लेते हैं.स्कूल के हैडमास्टर सरकारी फंड का पैसा खाने के लालच में माफियाओं के साथ मिल जाते हैं. साथ ही इस तरह से माफियाओं के साथ मिल जाने से इनके पास इनकम का दूसरा रास्ता भी खुल जाता है और अपने स्कूल में दबदबा में बना लेते हैं. क्योंकि जब पैसे के लालच में अधिकारी भी उनके साथ हो. तब ये जब चाहें अधिकारी के साथ मिलकर कमजोर शिक्षकों को सरकारी दांवपेंच में फंसा देते हैं. कभी किसी को सस्पेंड करा दिया, तो कभी किसी को सरकारी काम के नाम पर उलझा दिया.

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