ये दिल्ली छोड़ देने का वक्त है लेकिन ऐसा कहना आसान है और करना मुश्किल. इसलिए लोग ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं जो उन्हें जीते जी मार रही है। ये अतिश्योक्ति नहीं है बल्कि ज़हरीला सच है। लैंसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में प्रदूषण की वजह से 90 लाख लोग असमय मारे जाते हैं जिसमें से 25 लाख लोग भारत से होते हैं - किसी भी देश में प्रदूषण से मारे जाने वाले लोगों की ये सबसे ज्यादा संख्या है। प्रदूषण से मरने वाले लोगों में से 60 प्रतिशत लोग दिल के मरीज़ होते हैं। दिसंबर 2015 में बीजिंग की एयर क्वालिटी 291 थी - तब वहां पहली बार प्रदूषण की वजह से रेड अलर्ट जारी किया गया था। उसके बाद से चीन ने प्रदूषण कम करने पर काम किया. 2021 में चीन के बीजिंग में एयर क्वालिटी 90 से 150 के बीच है, सुधार की कोशिशें जारी हैं. यूरोप के सबसे प्रदूषित शहरों में लंदन आता है, वहां इन दिनों एयर क्वालिटी 60 से 90 के बीच है - वायु प्रदूषण लंदन में बहुत बड़ा मुद्दा है।भारत की राजधानी दिल्ली में इस वक्त एयर क्वालिटी 400 से ऊपर है। इसका मतलब दिल्र्ली में कर्फ्यू होना चाहिए देश की सबसे बड़ी रिसर्च संस्था ICMR यानी Indian Council For medical Research ने दिसंबर 2020 में प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों के आंकड़े जारी किए । इन आंकड़ों के मुताबिक देश में 2019 में 16 लाख लोग प्रदूषण की वजह से मारे गए। इन 16 लाख मौतों में से, 9 लाख 80 हज़ार लोग PM 2.5 का स्तर ज्यादा होने यानी हवा में मौजूद धूल के कणों के खतरनाक स्तर पर होने की वजह से मारे गए। जबकि 6 लाख 10 हज़ार लोग Indoor Pollution की वजह से मारे गए। हमारे देश में प्रदूषण से हर रोज़ 4 हज़ार 383 लोग और हर घंटे 282 लोग मारे जाते हैं। देश में होने वाली कुल मौतों में से 18 प्रतिशत की वजह प्रदूषण को माना गया है। भारत को प्रदूषण की वजह से 2019 में 2 लाख 60 हज़ार करोड़ का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। ये नुकसान भारत की कुल GDP के 1.4 प्रतिशत जितना है। लेकिन प्रदूषण किसी चुनावी मेनिफेस्टो का मुद्दा नहीं है। प्रदूषण को लेकर कोई धरना प्रदर्शन नहीं होता । नतीजा ये है कि प्रदूषण नाम का ये Silent killer धीरे धीरे पीढ़ियों को बर्बाद कर रहा है - और हम रोज़ इस ज़हर के घूंट को पीकर जी रहे हैं।