देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को लेकर आशंकाएं अब बढ़ती जा रही हैं. ओमीक्रोन के खतरे वाले देशों से भारत आने वाले अब तक 5 नागरिकों में कोरोना वायरस का ओमीक्रोन वेरिएंट पाया गया है। ऐसे में एक तरफ देश में बच्चों का वैक्सीनेशन अब तक नहीं हो पाया है. जिससे कई पेरेंट्स की चिंता बढ़ गई है। ओमीक्रोन की भारत में दस्तक से पहले धीरे-धीरे सभी चीजें सामान्य हो रही थी लेकिन इस वेरिएंट के मामले बढ़ने से माता-पिता एक बार फिर बच्चों को घरों में ही कैद कर रहे हैं। कहते हैं बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं. लेकिन कोरोना महामारी ने बीते करीब 2 साल से बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद देश के कई राज्य अनलॉक हो चुके हैं और कुछ ही दिनों पहले स्कूलों को फिर से खोलने की कवायद शुरू हुई थी लेकिन इस कवायद पर कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट पानी फिरता हुआ नजर आ रहा है. दरअसल एक तरफ बच्चे अपने दोस्तों से नहीं मिल पा रहे थे, तो दूसरी तरफ अलगाव, चिंता ,डर और सामाजिक दायरा बढ़ने की वजह से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा था। बीते दिनों हालात धीरे-धीरे सुधर ही रहे थे कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमी क्रोन भारत में दस्तक दे गया और अब पेरेंट्स अपने बच्चों को घरों के अंदर रहने की सलाह दे रहे हैं। Case study 11 साल के हेमैन सिंह दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में क्लास 7th में पढ़ते हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से हेमैन बीते 2 साल से ही ना तो अपने किसी दोस्त से मिले थे और ना ही उनके माता-पिता कोरोना संक्रमण के डर की वजह से उन्हें उनकी सोसाइटी में खेलने जाने देते थे. बीते दिनों कोरोना के मामले कम होने पर उनके माता-पिता ने उन्हें सोसाइटी के बाहर गार्डन मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने जाने देना शुरू कर दिया था लेकिन अब कोरोनावायरस क्रोन वेरिएंट की भारत में दस्तक से हेमैन के माता-पिता एक बार फिर डर गए हैं। अब वह हेमैन और उसके छोटे भाई दोनों को घर में ही पढ़ाते और उन्हीं के साथ खेलते भी हैं। हेमैन की ही तरह दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ने वाली 16 साल के उत्कर्ष की भी यही कहानी है. यह भी पिछले डेढ़ साल से घर से ही पढ़ाई कर रहे थे और अपने दोस्तों से नहीं मिले थे. पिछले दिनों इन्हें भी इनके माता-पिता ने घर से बाहर निकलने दिया क्योंकि कोरोना के मामले कम हो गए थे। लेकिन ओमी क्रोन की दहशत से उत्कर्ष के माता-पिता डर गए हैं और वह भी अब उत्कर्ष और उनके छोटे भाई को सोसाइटी के बाहर कदम नहीं रखने देते हैं इसलिए उत्कर्ष और उनके छोटे भाई घर में ही पढ़ाई खेलकूद और संगीत जैसी कई अन्य एक्टिविटी सीखकर घर में ही मन लगाने की कोशिश करते हैं। स्कूलों के लंबे समय से बंद रहने की वजह से हेमैन और उत्कर्ष जैसे देश के हजारों लाखों बच्चे काफी ज्यादा मानसिक तनाव झेल रहे थे. ऐसे में ओमिक्रोन के खतरे के बीच पेरेंट्स अपने बच्चों को घरों में ही रहने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि ओमिक्रोन दुनिया के जिन भी देशों में फैला है. वहां यह तेजी से जरूर फैला है लेकिन जानलेवा कम है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना के नए वेरिएंट के खतरे को भांपते हुए अपने बच्चों को स्कूलों में भी नहीं भेजना चाहते हैं। एक तरफ बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है वहीं दूसरी तरफ अब बच्चों को घरों में फिर से कैद रहना पड़ सकता है। हालांकि अगर कोरोना के नियमों का पालन ठीक से किया जाए तो जिस तरीके से पहली और दूसरी लहर के दौरान हमने कोविड पर विजय पाई। ठीक वैसे ही विजय हम भी इस वैरिएंट से लड़कर भी पा सकते हैं.