क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कल संसदीय समिति की पहली बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी की क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाया जा सकता है इसीलिए इसे सही तरीके से रेगुलेट करने की जरूरत है। इस बैठक में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े तमाम प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में संसद सदस्यों ने निवेशकों के हितों की रक्षा को लेकर भी चिंता जताई साथ ही समाचार पत्रों में क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने को लेकर विज्ञापन पर सवाल उठाया। दरअसल क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्टमेंट के लिए तरह-तरह के लुभावने विज्ञापन दिखाये जा रहे हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबी बैठक की थी। चलिए अब आपको बताते हैं कि क्रिप्टो को लेकर देश में इतना चिंतन, चिंता और बैठक क्यों हो रही है दरअसल क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लुभावने विज्ञापन लगातार छापे जा रहे हैं. क्रिप्टो में निवेश से आकर्षक मुनाफ़े का लालच लोगों में आता है. 10 करोड़ भारतीयों के निवेश का दावा किया जा रहा है. भारत से 6 लाख करोड़ रु. का पूंजी निवेश ! का भी दावा किया जा रहा है. जबकि क्रिप्टो करेंसी में निवेश रेग्युलेटेड नहीं है और भारत सरकार का निवेश पर नियंत्रण नहीं इसके साथ ही साथ ही ड्रग्स बिज़नेस, टेरर फंडिंग में इस्तेमाल का ख़तरा भी है. साथ ही देश की पूंजी की मनी लॉन्ड्रिंग का ख़तरा है. जानकार मानते हैं कि जब तक क्रिप्टो रेगुलेट नहीं होता है इसमें पैसा नहीं लगाना चाहिए। भारत सरकार लगातार क्रिप्टों पर बैठक कर रही है और संभव है कि शीतकालीन सत्र तक कुछ फैसला हो जाएं. एक अनुमान के मुताबिक़ क्रिप्टो करेंसी का कारोबार करीब 12 खरब अमेरिकी डॉलर का है और इसमें भी सिर्फ़ दो क्रिप्टो करेंसी एथेरियम 550 अरब डॉलर और डॉजक्वाइन 34 अरब डॉलर का बिजनेस कर रही है. दुनिया के कई देशों में इसमें ट्रेडिंग हो रही है. भारत में अभी ट्रेंडिंग को मंजूरी मिली हुई है. तो ऐसे में ज़रूरी है कि अब क्रिप्टो करेंसी को भारत में भी रेग्युलेट किया जाए।