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आतंकवाद के खिलाफ क्यों काल थे जनरल बिपिन रावत - The Media Houze

कश्मीर में पत्थरबाजी और आतंकवाद के खिलाफ जनरल बिपिन रावत का रवैया हमेशा से सख्त रहा। चाहे वो सेना प्रमुख रहे हो या CDS आतंकवाद को लेकर उनका नजरिया हमेशान जीरो टॉलरेंस रहा था। आतंकवाद को लेकर उनकी क्या सोच थी आप केवल इस बयान से समझ सकते हैं. जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हम लोग तैयार हैं घुसपैठ जैसा आपको बताया गया है यह जारी रहेगी सरहद के उस पार आतंकवादी तैयार बैठे हैं और हम भी उनके लिए जिस तरह तैयार बैठे हैं वह इधर आएंगे और हम उन्हें ढाई फुट जमीन के नीचे भेजते रहेंगे. यहीं वजह है कि जब बिपिन रावत जनरल थे तो आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने बेहद सख्त फैसले लिए. 2017 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन ऑलआउट' लॉन्च किया था. उनके नतीजे क्या रहे आप आंकड़ों से समझ सकते हैं. 2017 से 2019 के दौरान जम्मू-कश्मीर में 627 आतंकी मारे गये. जबकि जम्मू-कश्मीर में 317 आतंकी ज़िंदा पकड़े गए थे। जनरल बिपिन रावत ना केवल आतंकवादियों के खिलाफ बल्कि जो उसका समर्थन करते थे उनके खिलाफ बेहद सख्त थे। पत्थरबाजों को वो भटके हुए कश्मीरी नहीं मानते थे बल्कि उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की बात करते थे। जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन के कई आतंकियों को मार गिराया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। उसके बाद देश ने लगातार सर्जिकल स्ट्राइक करने शुरू किए थे। 2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक रणनीतिकार बिपिन रावत ही रहे।फिर 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक की रणनीति में शामिल रहे। इसके बाद 2019 में जब सरकार ने 370 को हटाने का ऐलान किया था तो उस दौरान जम्मू-कश्मीर में हर गड़बड़ी को रोकने की जिम्मेदारी जनरल बिपिन रावत पर ही थी। जनरल बिपिन रावत अपनी हर भूमिका में सर्वश्रेष्ठ रहे, देशहित में हर बड़े फैसले को लेने से बिल्कुल नहीं कतराए। हमेशा देश और सेना को प्रथम रखने वाले जनरल बिपिन रावत हमेशा याद आएंगे क्योंकि जनरल मरा नहीं करते है।

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