मध्यप्रदेश में भले ही ऑक्सीजन की कमी और इससे मौत होने के आरोप लगते रहे हो. लेकिन सरकार का मानना है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. ना ही कमी से किसी की जान गई है. कोरोना को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 12 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट के निर्देश पर सरकार ने 87 पेजों की एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की. ऑक्सीजन आपूर्ति पर मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन की कोई भी कमी नहीं है बल्कि मांग से ज्यादा ऑक्सीजन उपलब्ध है. सरकार ने अदालत को बताया कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है. सरकार के जवाबों पर हाईकोर्ट ने कहा कि स्पष्ट होता है ऑक्सीजन की उपलब्धता के बावजूद सप्लाई चैन में गड़बड़ी है. सरकार केंद्र पर निर्भर है सरकार ने अभी तक नहीं बताया कि कब तक वो ऑक्सीजन प्लांट लगा लेंगे. कोर्ट में सरकार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर निजी अस्पतालों से दोहरा रवैया अपनाने का भी आरोप लगा. इसके मुताबिक सरकार ने कुछ बड़े अस्पतालों को सीधे इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी से खरीदी की छूट है. जबकि कुछ पर प्रतिबंध लगा हुआ है. दोहरे मापदंड पर कोर्ट ने जवाब मांगा हैं. वहीं श्मशान में शवों की संख्या और सरकारी आंकड़ों में पेश हो रहे आंकड़े पर भी हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है… मामले में अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
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