कानून की लड़ाई हमेशा से महंगी रही है. चाहे वो अंग्रेजों का ज़माना रहा हो, चाहे फिर आज़ादी के बाद, कोर्ट, कचहरी,केस,मुकदमा लड़ना हमेशा से महंगा ही रहा है. इस कड़वी सच्चाई से हमारे देश के संविधान निर्माता रहे डॉक्टर भीव राव अम्बेडकर अच्छी तरह से वाकिफ थे, इस लिए जब वो हमारे देश के लिए कानून बना रहे थे, तो उन्होंने आर्थिक रुप से कमजोर, गरीबों के लिए एक विशेष व्यवस्था की और वो था कि अगर किसी शख्स के पास वकील को पैसे देते की हैसियत ना हो तो वो शख्स कोर्ट में अपने केस की पैरवी खुद भी कर सकता है. अपना केस खुद में लड़ सकता है
1 जुलाई 2024 के नए कानून से पहले संविधान की धारा 32 के Advocate Act, 1961 के मुताबिक जब कोई इंसान किसी Civil या Criminal जैसे अपराधिक मामले में फंस जाता है तब उस शख्स को हमारे देश के संविधान ने ये अधिकार दिया है कि वो इंसान कोर्ट में अपने केस की पैरवी कर सकता है अपना केस वो खुद भी लड़ सकता है । हालांकि ऐसा करने से पहले उस व्यक्ति को जिस कोर्ट में केस चल रहा है उस कोर्ट के जज से इजाज़त लेनी पड़ेगी. जज साहब को अपनी स्थिति के बारे में बताना होगा, कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि वो अपने केस में किसी वकील को नहीं रख रहा है या नहीं रखना चाहता है. इसके पीछे जो भी वजह होगी वो जज को साफ साफ बताना होगा. जिसके बाद उस कोर्ट के जज फैसला करेंगे कि आप अपने केस में वकील रखेंगे या फिर अपने केस की पैरवी खुद करेंगे. जज साहब के आदेश के बाद ही कोई भी शख्स अपने केस की पैरवी खुद कर सकता है ।