भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. हमारी आबादी भी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी में से एक है. जिसकी वजह से हमारे देश में गरीबी एक बड़ी समस्या है। जबकि कानूनी लड़ाई लड़ना काफी महंगा सौदा है। ऐसे में कई बार होता है कि कई गरीबी लोग, जिन्हें अपने हक के लिए, इंसाफ के लिए कानून के मदद की जरुरत होती है, लेकिन उनके पास केस, मुकदमा लड़ने के लिए पैसे नहीं होते, यहां तक वकील की फीस देने तक के पैसे नहीं होते. ऐसे गरीब, कमजोर लोगों को भी न्याय मिल सके, इसके लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने पहले से ही सोच रखा था और ऐसे कमजोर लोगों के लिए एक विशेष व्यवस्था कर दी कि अगर जिसके पास पैसे ना हों उन्हें भी कानूनी लड़ाई लड़ने का उतना ही हक मिल सके, जितना कि किसी सामान्य और सम्पन्न लोगों को है. उसके लिए संविधान ने गरीबों के लिए फ्री में वकील की व्यवस्था की है।
अगर किसी भी शख्स के पास अदालत में इंसाफ के लिए केस लड़ने के पैसे नहीं हैं तो उसको भी मुफ्त में सरकार की तरफ से वकील मिल सकता है।इसके लिए हमारे देश की संसद ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 पारित किया था. जिसके तहत आर्थिक रुप से कमजोर,गरीबों के लिए फ्री में कानूनी मदद देने का प्रावधान किया गया है. मुफ्त में कानूनी सहायता पाने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार के तहत आता है. इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A में भी कहा गया है कि राज्य ऐसी व्यवस्था बनाएगा, ताकि सभी नागरिकों को न्याय मिल सके.
कई बार लोगों को लगता है कि मुफ्त में कानूनी मदद या वकील सिर्फ क्रिमिनल केस में ही मिलते होंगे लेकिन ऐसा नहीं है. संविधान में गरीबों के लिए ये सब कुछ सिर्फ क्रिमिनल केस ही नहीं, बल्कि सिविल केस लड़ने के लिए भी मुफ्त में वकील की व्यवस्था की गई है. अगर कोई गरीब सिविल मुकदमा लड़ रहा है, तो सिविल प्रक्रिया संहिता में ‘पौपर्स सूट’ का प्रावधान किया गया है. अदालतों को यह शक्ति मिली है कि वो किसी गरीब व्यक्ति को मुकदमा लड़ने के लिए सरकारी खर्च पर न्याय मित्र यानी ‘एमिकस क्यूरी’ उपलब्ध करवा सकती है. हालांकि सिविल मामलों में पौपर्स सूट यानी गरीब व्यक्ति को सरकारी खर्च पर एमिकस क्यूरी देने की परम्परा कम ही देखने को मिलती है.
मुफ्त में में कानूनी सहायता जिन लोगों को दी जाती है, वे इस प्रकार हैं
- महिला, बच्चे और दिव्यांग
- अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय के लोगों को
- भिखारी या मानव तस्करी के शिकार शख्स को
- किसी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप आदि के शिकार को
- जातीय हिंसा या साम्प्रदायिक हिंसा या बलवे के शिकार शख्स को
- किसी औधोगिक हादसे के शिकार शख्स और कामगारों को
- बाल सुधार गृह के किशोर और मानसिक रोगी को
- आर्थिक रुप से कमजोर ऐसे शख्स को जिसकी सालाना आमदनी 25 हजार से कम हो
यहां करें मुफ्त में वकील पाने के लिए संपर्क
अगर आप सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, तो मुफ्त में वकील करने के लिए आपको नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी से सम्पर्क करना होगा, या उनकी वेबसाइट यानी https://nalsa.gov.in/lsams/ पर भी संपर्क कर सकते हैं. वही अगर आप किसी राज्य के हाईकोर्ट में केस लड़ना चाहते हैं, तो मुफ्त कानूनी सहायता के लिए राज्य के स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (https://nalsa.gov.in/state-lsas-websites) से संपर्क करना होता है. इसके अलावा गरीबों को जिला स्तर पर भी मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है. इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी से संपर्क किया जा सकता है.