1958 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे बिपिन रावत. 20 वर्ष की उम्र में सेना में शामिल हुए. उस वक्त किसी को शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि एक दिन सेना के ये अफसर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनेंगे. जनरल रावत की कामयाबी शुरुआत से ही अलग किस्म की रही. सिर्फ 28 वर्ष की उम्र में बिपिन रावत LAC पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख बने. ये जिम्मेदारी किसी बड़े सम्मान से कम नहीं थी.
58 वर्ष की उम्र में बिपिन रावत उप-सेना प्रमुख बने और एक साल के अंदर आर्मी चीफ बन गए. LAC से लेकर कश्मीर और पूर्वोतर तक में काम करने का जनरल बिपिन रावत के पास लंबा अनुभव था. अशांत इलाकों में तो इन्होंने लगातार काम किया और कामयाबी भी हासिल की. जनरल बिपिन रावत को अपने सेवा काल में कई मेडल मिले. ये सम्मान बताते हैं कि वो अपने कर्तव्य को लेकर कितने ज्यादा समर्पित थे.
जनरल बिपिन रावत को उत्तम युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया. इसके बाद वो अतिविशिष्ठ सेवा मेडल के भी नवाजे गए. अपने मिशन में कामयाबी की वजह से उन्हें युद्ध सेवा मेडल दिया गया. असाधारण कर्तव्य निष्ठा और साहस का परिचय देने के लिए इन्हें सेना मेडल दिया गया. जनरल रावत को अपने काम के लिए विदेश सेवा मेडल भी मिला. दो पीढ़ियों से सेना में सेवा दे रहे जनरल बिपिन रावत के रग रग में शामिल थी. आज वो इस दुनिया में नहीं है. लेकिन वो देश के सैनिकों के लिए ही नहीं. युवा और नई पीढ़ि के लिए प्रेरण के स्त्रोत रहेंगे.