कोरोना से भी 50 गुना ज्यादा खतरनाक है ब्लैक फंगस, कोरोना से ठीक हुए लोगों की मौत का कारण बन रही है ये बीमारी - The Media Houze

कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा है. और जब जब रूप बदल रहा है तब तब और ख़तरनाक होता जा रहा है. इसीलिए दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर को और ख़तरनाक बताया जा रहा है. लेकिन इस बीच में कोरोना से भी बड़ी एक बीमारी देखने को मिल रही है. जो लोग कोरोना से ठीक हो जा रहे हैं, उनके भीतर एक काली बीमारी जन्म ले रही है. ऐसी बीमारी जो कोरोना से भी ख़तरनाक साबित हो रही है. नाम है म्यूकॉरमाइकोसिस. आसान शब्दों में ब्लैक फंगस. ये बीमारी ब्लैक फंगस है जो पहले भी लोगों को होती रही है. लेकिन कोरोना से ठीक हुए लोगों में होने पर ये उनकी मौत का कारण भी बन सकती है. ये बीमारी कोरोना से 50 गुना ज़्यादा ख़तरनाक है… गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, और राजस्थान के जयपुर और दिल्ली जैसे शहरों में ऐसे मरीजों की तादाद दिन ब दिन बढ़ती जा रही है.

कोरोना से लड़कर जो जीत जा रहे हैं, वो अगर इस काली बीमारी की चपेट में आते हैं तो उनके लिए बचना बहुत मुश्किल हो सकता है. ये काली बीमारी यानी ब्लैक फंगस पहले से कुछ खास बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए काल है. जिसमें शामिल हैं वे लोग

जिनकी कीमोथेरेपी हो चुकी है

अनियंत्रित डायबिटीज़ के शिकार हैं

किसी तरह का ट्रांसप्लांट कराया है

पहले से बीमार बुज़ुर्ग हैं

आईसीयू में भर्ती मरीज़ को हो सकता है

कोरोना से 50 गुना ज़्यादा खतरा

हर दूसरे व्यक्ति की मौत हो जाती है

ब्लैक फंगस एक फंफूदी है जो शरीर में कहीं जा सकता है, चमड़ी से लेकर हड्डी तक, खून से लेकर दिमाग तक जा सकता है. जानकार मानते हैं कि ये बीमारी हमारे बीच में पहले से है और बहुत कम लोगों को होती है लेकिन जिनको होती है उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है,
नाक और जबड़े की हड्डी जा सकती है, दिमाग में जाने पर जान भी जा सकती है

डायबिटीज़ से ग्रसित मरीज़ों में कोरोना से ठीक होने के बाद ये बहुत बड़ा ख़तरा है, जो शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा शुगर को अपनी खुराक बनाता है और साथ में जो ह्यूमीडिफाइड ऑक्सीजन कोरोना मरीज़ों को दिया जाता है उसे भी अपना भोजन बनाकर बढ़ता है.

ये ऑक्सीजन कोरोना के मरीजों को मौत के मुंह में जाने बचा रही है. साथ ही डॉक्टर्स स्टेरॉयड की मदद से भी कोरोना के मरीज़ों को बचा रहे हैं लेकिन यही स्टेरॉयड बाद में जान का दुश्मन बन जा रहा है. इनकी वजह से ठीक हुए लोग ब्लैक फंगस या म्यूकॉरमाइकोसिस की चपेट में आ जा रहे हैं. इसमें आंख के नीचे फंगस का जमा होता है, सेंट्रल रेटिनल आर्टरी में खून का प्रवाह बंद हो जाता है , आंखों की रोशनी कम होने लगती है , कई बार आंखों की रोशनी गंवानी पड़ती है

वैसे ये कोरोना से ठीक हुए हर एक व्यक्ति में नहीं हो रहा है, बल्कि कुछ ही लोगों में ऐसी बीमारी देखने को मिली है. ऐसे लोग जिनका शुगर कंट्रोल में नहीं है, उनमें ब्लैक फंगस बीमारी फैल रही है. लिहाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय भी ताकीद कर रहा है कि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचना चाहिए