तल्खियों के बीच रहना, चुपचाप सब सहना, कवि विपिन बी मिश्रा की नई रचना - The Media Houze

तल्खियों के बीच रहना,
चुपचाप सब सहना,
नहीं कुछ कहना,
अंदर ही डहना,
केवल दब्बूपन की निशानी है,
शालीनता तो बिल्कुल ही नहीं ll

विपिन बी मिश्रा