बिहार में लगातार स्वास्थ व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं. ताजा मामला
कैमूर के कबार गांव का है. जहां करीब 60 लाख की लागत से बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हालत में है. आलम ये है कि कोरोनाकाल में भी डॉक्टर अस्पताल बंद पड़ा हैं. ग्रमीणों का कहना है कि जब गांव में अस्पताल बना था तो सभी बेहद खुश थे. लेकिन 30 सालों बाद भी लोग डॉक्टर और दवा के लिए तरस रहे हैं. नाराज गांव वालों ने अस्पताल में कब्जा कर उसे तबेले में तब्दील कर दिया. उनका कहना है कि वो चाहते हैं कि अस्पताल खुल जाए ताकि उन्हें दूसरी जगह इलाज के लिए नहीं जाना पड़े. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि इस बारे में कई बार अधिकारियों को भी जानकारी दी गई. लेकिन उनकी तरफ से भी कोई पहल नहीं की गई. वहीं इस पूरे मामले में प्रभारी सिविल सर्जन डॉ मीना कुमार का कहना है कि उन्हें अस्पताल के बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग कोरोना के चलते व्यस्त है. जैसे ही हालात ठीक होंगे अस्पताल को चालू कराया जाएगा