अयोध्या में भव्य मंदिर के लिए जमीन खरीद को लेकर विवाद अभी शांत नहीं हुआ था..एक और जमीन खरीद को लेकर विवाद सिर उठाने लगा है….इस बार भी आरोप ठीक वैसे ही हैं….जैसे पहले लगे थे…पूर्व विधायक तेज नारायण पाण्डेय का आरोप है…. कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक दोष का समाप्त करने के लिए ईशान कोण में जो जमीन खरीदी गई…उस जमीन की वास्तविक कीमत 20 लाख रु. है….जबकि जमीन 2.5 करोड़ में खरीदी गई.
योध्या में राम मंदिर निर्माण में वस्तु दोष को समाप्त करने के लिए ईशान कोण की जमीन को सही करने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा एक और जमीन की खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगे है । अयोध्या के पूर्व विधायक व सपा सरकार में रहे राज्यमंत्री तेजनारायण पांडेय ने सवाल खड़ा किया है कि ट्रस्ट ने रामकोट मोहल्ले में 20 लाख की जमीन 2.5 करोड़ में कैसे खरीदी है । ट्रस्ट ने समर्पण निधि का दुरुपयोग किया है । ऐसे में ट्रस्ट द्वारा जमीन खरीद की जांच पीएम नरेंद्र मोदी करवाये , ट्रस्ट दोषी पाया जाए तो ट्रस्ट को भंग कर कार्यवाही की जाए ।
आरोप है कि अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दीपनारायण से गाटा संख्या 135 व 36 में 16727 वर्ग फुट जमीन की खरीद 3.5 करोड़ में किया है । जिसमे दीपनारायण ने अपनी पैतृक संपत्ति 7200 वर्गफीट जमीन को 1 करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेची वहीं साथ कि दूसरी जमीन जिसे दशरथ महल बड़ी जगह के महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य से 20 लाख रुपये में खरीदकर 2.5 करोड़ में ट्रस्ट को बेच दिया । दीपनारायण ने रामकोट की 7527 वर्गफुट जमीन को 20 फरवरी 2021 को दशरथ महल बड़ी जगह के महंत से खरीदी और वही जमीन 11 मईं 2021 को ट्रस्ट ने 2.5 करोड़ में खरीदी । इसके बाद सवाल खड़े होने लगे कि आखिर 3 माह में जमीन के दाम 12 गुना कैसे बढ गई । साथ ही आरोप लगा कि दीपनारायण अयोध्या नगरनिगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे है इस लिए उनको आर्थिक मदत पहुचाने के लिए जमीन महंगी दाम पर खरीदी गई । इस बाबत आफ कैमरा महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने सफाई दिया कि उन्होंने रामलला के मंदिर के लिए अपने रिश्तेदार की जमीन मार्किट रेट से आधे में ट्रस्ट को ख़रीदवाई है । वहीं दीपनारायण ने मीडिया को एक पत्र जारी किया जिसमें कहा के कहने पर उन्होंने अपनी पैतृक जमीन को ट्रस्ट के नाम बेची साथ ही अपने आवास के लिए खरीदी गई जमीन को भी ट्रस्ट के कहने पर उनके नाम बैनामा कर दिया । कुल 16727 वर्गफुट जमीन ट्रस्ट को बेचा है वही ट्रस्ट ने जमीन का मूल्य 3.5 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से उनके खाते में दिया । जिसका उन्होंने 1 करोड़ 8 लाख रुपये आयकर जमा किया । ऐसे में उनको मात्र 2 करोड़ 36 लाख रुपये ही मिले । यह जमीन ट्रस्ट को 1412 /- स्क्वायर फिट पड़ी है जो बाजार मूल्य से आधे दाम पर है । बाजार मूल्य स्क्वायर फुट 3 हजार से ऊपर चल रहा है । ट्रस्ट ने गाटा संख्या 135 के बगल 136 में संत रामदास से 1660 वर्गफीट जमीन 3 हजार रुपये वर्ग फिट में खरीदी है । जो उनकी बेची गई जमीन से दुगनी महंगी है । उन्होंने कोई गलत काम नही किया है । ट्रस्ट ने जो जमीन खरीदी वह ईमानदारी के साथ खरीद किया कोई घपला नही हुआ है । वहीं दीपनारायण को जमीन बेचने वाले दशरथ महल बड़ी जगह के बिंदुगद्दाचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य का कहना है कि वह जमीन उनके गुरु के नाम दर्ज थी लेकिन नजूल की जमीन थी । इसलिए बहुत कम दाम 20 लाख में दीपनारायण को बेची गई । उनको बताया गया कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जमीन की जरूरत है क्योंकि उस जमीन पर लोगो को विस्थापित किया जाएगा । उन्होंने ट्रस्ट के नाम पर जमीन बेची है । ट्रस्ट को जमीन खरीद से पहले इसपर विचार करना चाहिए था कि जमीन कितने में बिकी । हमारे मतलब की जमीन नही थी , ट्रस्ट के काम आ रही थी इस लिए इसे बेच दिया । वहीं अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिसद के प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास का कहना है कि कुछ पार्टियों के नेता ट्रस्ट को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं । जिसमें ट्रस्ट के ऊपर और उनसे जुड़े लोगों के ऊपर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। जो कभी वह सिद्ध नहीं कर पाएंगे। सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता ।
अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भांजे के द्वारा खरीदी गई जमीन के विवाद को लेकर दशरथ महल बड़ा स्थान देवेंद्र प्रसाद आचार्य का कहना है कि जमीन हमारी है हमारे गुरुजी के नाम से लेकिन मूल रूप से वह नजूल सरकार की जमीन थी इसलिए बहुत ही कम दाम में बेच दिया गया लगभग 2000000 रुपए प्राप्त हुआ है हमसे बताया गया की मालियत बहुत ही कम है नजूल की है इसलिए राम जन्मभूमि ट्रस्ट को इसकी औ सक्ता है दे दीजिए जो वहां से व्यवस्था पित्त होंगे वहां पर उनको स्थापित किया जाएगा इसलिए मैंने कहा कि राम जन्म भूमि ट्रस्ट दे दिया गया वह कितने में बेचे हैं वह हमको नहीं मालूम है इसको ट्रस्ट को सोचना चाहिए था कि कितने की जमीन है क्या है और सोच विचार कर लेना चाहिए था हम लोगों को पता चला कि नजूल सरकार की है इसलिए हम लोगों को उस पर हक भी नहीं है इसलिए जो हम लोगों को मिल रहा है हम लोग ले ले क्योंकि राम जन्म भूमि के काम आना है इसलिए अच्छे काम में लग जाएगा जमीन हमारी।