रूस के साथ एक-एक इंच ज़मीन बचाने के लिए यूक्रेन दिन रात लड़ रहा है. यूक्रेन ने रूस को अब तक कीव के पास पहुंचने नहीं दिया है. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ये जानते हैं कि रूस को ज़्यादा देर तक रोक पाना उनके बस की बात नहीं है. यूक्रेन की हताशा और नाराज़गी तब और बढ़ जाती है. जब पश्चिमी देश उसे वो हथियार नहीं देते, जो उसे रूस के खिलाफ मज़बूती से खड़े होने में मदद करेंगे । ज़ेलेंस्की ने फिर एक बार अपने मन की बात, पश्चिमी देशों के सामने रख दी कि उसे सिर्फ हथियार नहीं बल्कि लड़ाकू विमानों की भी ज़रूरत है. क्योंकि रूस के सुखोई, मिग जैसे विमानों का सामना करने की ताकत उसमें नहीं है और ज़ेलेंस्की ये चेतावनी भी दी कि अगर आज रूस को नहीं रोका गया, तो यूरोप खतरे में आ जाएगा ।
यूक्रेन के राष्ट्रपित ने कहा कि इस सुरक्षा की कीमत क्या है ? लड़ाकु विमान । यह हमारे देश के लिए टैंक की तरह है । यह रक्षा मिसाइल के जैसे है । ये एंटी शिप हथियारों की तरह है । हमारे साथियों के पास ये है पर उन पर धूल जम रही है । और ये सब न केवल यूक्रेन की स्वतंत्रता के लिए है, बल्कि यूरोप की स्वतंत्रता के लिए भी है । क्योंकि ये कोई भी स्वीकार नहीं करेगा… कि बाल्टिक राज्यों, पोलैंड, स्लोवाकिया और पूरे पूर्वी यूरोप में रूसी आक्रमणकारियों का खतरा बढ़े और ये अगर ऐसा हुआ तो सिर्फ इसलिए होगा क्योंकि वो विमान जिनकी हमें ज़रूरत है अपने हैंगर में खड़े होंगे
अपने संबोधन में ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर नेटो पर हमला बोला और कहा कि क्या पूरे यूरो-अटलांटिक समुदाय को रूस चला रहा है ? सभी नाटो विमानों का केवल 1% और सभी नाटो टैंकों का 1% सिर्फ 1% ! हमने इससे ज़्यादा नहीं मांगा, और हमें इससे ज़्यादा चाहिए भी नहीं । हम 31 दिनों से भी ज़्यादा समय से इंतजार कर रहे हैं ! तो यूरो-अटलांटिक समुदाय को कौन चला रहा है ? क्या वो मास्को है, जिसकी धमकियों से आप डर रहे हैं ?
ज़ेलेंस्की का ये गुस्सा कहीं ना कहीं अमेरिका को लेकर भी था. क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दो दिनों का पोलैंड दौरा किया, नेटो सदस्य देशों से बात भी की, लेकिन लड़ाकु विमान देने को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है और नेटो सदस्य देशों की ये देरी, शायद यूक्रेन के लिए मुसीबत ना बन जाए