आयकर विभाग ने इस्लामिक संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को दी गई कर छूट को वापस ले लिया है। आयकर विभाग ने PFI को आयकर कानून 1961 की धारा 12AA के तहत दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया है। PFI को यह पंजीकरण 2012 में मिला था। इस पंजीकरण के मिलने से PFI को आयकर टैक्स नहीं देना होता था। लेकिन अब आयकर विभाग ने PFI से ये छूट वापस ले ली है। अब PFI को आयकर देना होगा।
विभाग ने पाया कि पीएफआई की गतिविधियां कानूनी रूप से अधिसूचित परमार्थ संगठनों की तरह नहीं हैं। संगठन की गतिविधियां सही नहीं हैं। विभाग ने हाल में पीएफआई को आयकर कानून, 1961 की धारा 12एए (3) के तहत दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया था। पीएफआई को यह पंजीकरण अगस्त, 2012 में मिला था। विभाग की ओर से मार्च में जारी आदेश में कहा गया है कि पीएफआई को दिया गया कर लाभ आकलन वर्ष 2016-17 से ‘रद्द किया जा रहा है/वापस लिया जा रहा है।’’
इस आदेश का मतलब है कि पीएफआई को अब आयकर देना होगा। साथ ही पीएफआई के दानदाताओं को भी किसी तरह की कर छूट नहीं मिलेगी। पीएफआई इस आदेश को विभाग के उच्च प्राधिकरणों और बाद में अदालतों में चुनौती दे सकता है।
पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों के साथ केंद्रीय एजेंसियां मसलन प्रवर्तन निदेशालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पीएफआई की जांच कर रही है। पीएफआई के सदस्यों पर मनी लांड्रिंग के अलावा आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल होने का आरोप है।
विभाग ने आयकर कानून की धारा 12एए के साथ ही 12ए और धारा 80 जी के तहत पीएफआई का परमार्थ संगठन का दर्जा वापस ले लिया है। धारा 12ए/12एए किसी परमार्थ संगठन या धर्मार्थ न्यास या संगठन को कर छूट दिये जाने से संबंधित है। वहीं धारा 80 जी के तहत परमार्थ या धर्मार्थ संस्थानों को दान करने वाले व्यक्तियों को मिलने वाली आयकर छूट से संबंधित है।