2 जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट एयरबेस में आतंकी हमले की ये है पूरी कहानी - The Media Houze

वक्त रात के करीब 1 बजकर 40 मिनट हो रहे थे । जम्मू के इस एयरफोर्स स्टेशन में सबकुछ शांत था, तभी अचानक से एक धमाके की आवाज़ आती है । ये धमाका एयरबेस के अंदर एक बिल्डिंग पर एक ड्रोन के बम गिराने से हुआ था । धमाके के बाद एयरबेस पर अफरा तफरी मची हुई थी, इसी बीच 5 मिनट के अंदर 1 बजकर 46 मिनट पर दूसरे ड्रोन से एक और धमाका हुआ । इस बार दूसरे ड्रोन ने एयरबेस पर खड़े वायुसेना के हेलीकॉप्टर से कुछ दूरी पर बम गिराया । गनीमत ये थी कि दोनों धमाके बेहद ही कम तीव्रता के थे और इससे जम्मू एयरबेस पर कोई खास नुकसान नहीं हुआ । सिर्फ एयरबेस के टेक्नीकल एरिया की एक बिल्डिंग को मामूली नुकसान पहुंचा ।

आतंकवादियों की साज़िश एयरफोर्स स्टेशन को बड़ा नुकसान पहुंचाने की थी । खुफिया सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के निशाने पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल की बिल्डिंग और एयरबेस पर खड़े Mi 17 लड़ाकू हेलीकॉप्टर थे । लेकिन आतंकियों के ड्रोन का निशाना चूक गया । पहले ड्रोन का धमाका जम्मू एयरबेस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से 100 मीटर दूर हुआ । जबकि दूसरा धमाका भी Mi 17 हेलीकॉप्टर के हैंगर से कुछ मीटर की दूरी पर हुआ । सुरक्षा एजेंसियां इस बात से हैरान है कि एक ड्रोन पर 5 किलो TNT विस्फोटक लदा हुआ था । अगर ये विस्फोट हो जाता था तो एयरबेस को काफी बड़ा नुकसान हो सकता था ।

ड्रोन अटैक में एयरफोर्स के किसी भी हेलीकॉप्टर या उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचा है । सूत्रों के मुताबिक दो वायुसैनिक ड्रोन हमले में घायल ज़रूर हुए हैं । इस हमले को लेकर सुरक्षाबलों ने 2 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ हो रही है. 5 मिनट के अंदर जम्मू एयरबेस पर ड्रोन से दो-दो धमाकों से ये साफ हो चुका था कि ये आतंकी हमला है । आतंकी एयर स्टेशन में मौजूद एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर को निशाना बनाना चाहते थे लेकिन वो निशाने से चूक गए । अगर आतंकी एयरबेस पर मौजूद फाइटर प्लेन या फिर दूसरे हथियारों पर हमला करने में कामयाब हो जाते तो काफी बड़ा नुकसान हो सकता था ।

जम्मू कश्मीर में ये पहली बार है जब आतंकियों ने हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है और वो भी पाकिस्तान सीमा से देश के रक्षा संस्थान पर । अब सवाल उठता है कि आखिर जम्मू में ड्रोन अटैक की प्लानिंग किसने और कैसे रची? सूत्रों के मुताबिक अभी तक की जांच में पता चला है कि दोनों हमलों के लिए दो अलग-अलग ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था । शुरूआती जांच में ये बात भी सामने आई है कि एयरफोर्स स्टेशन के पांच किलोमीटर के दायरे से ड्रोन को ऑपरेट किया गया था । हालांकि इस बात की भी जांच हो रही है कि कहीं एयरबेस पर हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल का सीमा पार से तो नहीं हुआ था?

ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि जम्मू में जिस जगह पर एयरफोर्स स्टेशन से वहां से पाकिस्तान की सीमा की दूरी सिर्फ 14 किलोमीटर है । सीमा से इतने करीब एयरफोर्स पर आतंकी हमले का ये पहला मामला नहीं है. करीब साढ़े 5 साल पहले पाकिस्तान की सीमा के नजदीक पंजाब के पठानकोट एयरबेस पर 2 जनवरी 2016 को आतंकी हमला हुआ था । तब एयरफोर्स में आतंकी घुस गए थे, लेकिन इस बार जम्मू में आतंकियों ने एयरबेस में दाखिल होने की बजाए आसमान से ही हमला कर दिया । जम्मू पुलिस ने एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन अटैक को आतंकी हमला मानते हुए केस दर्ज किया है । आतंकी हमले के बाद से एयरफोर्स के उच्च अधिकारियों की टीम, जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना और CPRF के अधिकारी इस हमले की जांच कर रहे हैं ।

सूत्रों के मुताबिक इस आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी यानी NIA कर सकती है । एयरफोर्स पर हमले के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वाइस एयर चीफ एयर मार्शल मार्शल एच.एस.अरोड़ा से पूरे हालात की जानकारी ली । आतंकवादियों ने जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हमला का वक्त ऐसा चुना है, जब राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ी है । 24 जून को ही प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक की थी । इसके साथ ही अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में आतंकवादी घटनाएं भी कम हुई हैं और यही वजह है कि आतंकवादी और सरहद पार बैठे उनके आका बेचैन हैं । कश्मीर में अमन बहाली से बौखलाए आतंकी अब नई साज़िशों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं ।