अगर आप समाज में होने वाली घटनाओं से नाखुश या परेशान हैं, सरकार या किसी भी संस्था की नीतियों और उसके फैसले की वजह से मानवीय अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. सामाजिक अन्याय और क्रप्शन को बढ़ावा मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में आप PIL यानि जनहित याचिका दायर कर कानून के माध्यम से हो रही गलत गतिविधियों को रोक सकत हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर ये जनहित याचिका क्या है और इसे कैसे दाखिल किया जाता है
WHAT IS PIL : जनहित याचिका क्या है ?
जनहित याचिका कानूनी रुप से लड़ने के एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए व्यक्तियों से जुड़े सार्वजनिक हित और उसके मुद्दों को उठाया जाता है. इसके माध्यम से एक व्यक्ति या एक गैर-सरकारी संस्था या नागरिक समूह, अदालत में ऐसे मुद्दों को लेकर कोर्ट के माध्यम से न्याय की मांग कर सकता है.
कौन दायर कर सकता है जनहित याचिका (PIL)
समाजिक न्याय और मानवीय हितों के रक्षा के लिए भारत का कोई भी नागरिक या गैर सरकारी संगठवन PIL दाखिल कर सकता है, अगर मुद्दा बेहद ही सार्वजनिक महत्व का है तो कई बार ऐसे मामले में कोर्ट खुद संज्ञान लेती है और उसके लिए एक वकील भी न्युक्त करती है. जनहित याचिका सिर्फ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाता है.
जनहित याचिका दाखिल करने की प्रक्रिया जाने :
PIL दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को उस मामले की पूरी सच्चाई जानकारी और तफ्तीश पूरी कर लेनी चाहिए. अगर याचिका कई लोगों से संबंधित है तो फिर सभी लोगों से इस मामले पर राय ले लेनी चाहिए. क्योंकि एक बार PIL दाखिल हो जाने के बाद अपने केस को मजबूत करने के लिए सभी संबंधित जानकारी और कागजात को एकत्र करना चाहिए. जनहित याचिका दायर करने के बाद आप खुद भी बहस कर सकते हैं या फिर एक वकील भी न्युक्ति कर सकते हैं, सामान्यत: PIL दाखिल करने से पहले एक वकील से सलाह लेने की राय दी जाती है.
अगर हाई कोर्ट में PIL दायर किया जाता है तो ऐसी स्थिति पर याचिकाकर्ता को दो प्रतियां जमा करनी पड़ती है साथ ही याचिका की एक प्रति अग्रिम रुप से प्रत्येक प्रतिवादी को भेजनी पड़ती है और उसका सबूत जनहित याचिका में लगाना पड़ता है.
लेकिन अगर यही PIL सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाए तो फिर ऐसी स्थिति में याचिकर्ता को 5 प्रतियां जमा करनी पड़ती है. प्रतिवादी को जनहित याचिका की प्रति केवल तभी भेजा जाता है जब अदालत इसके लिए नोटिस जारी करता है.
PIL दायर करने का शुल्क कितना है?
दूसरे अदालती फीस के मुकाबले PIL दायर करन सस्ता है. PIL में वर्णित प्रत्येक प्रतिवादी को 50 रुपये देने पड़ते हैं और इसका उल्लेख याचिका में भी करना पड़ता है, हालांकि पूरी न्याय प्रणाली में होने वाला खर्च उस वकील पर निर्भर करता है जिसे याचिकाकर्ता ने बहस के लिए अपनी तरफ से रखता है