विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर पहले चरण की जांच पूरी कर चुका है और मार्च में ही उसने इस पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में WHO ने ये कहा था कि ”कोरोना वायरस किसी लैब से पैदा हुआ है, ऐसा कहना मुश्किल है। जांच रिपोर्ट में WHO इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि शायद कोरोना वायरस चमगादड़ों के ज़रिए इंसानों में आया। यानी वायरस की उत्पत्ति को लेकर ये रिपोर्ट कुछ भी स्पष्ट नहीं कहती है। और चीन को Benefit Of Doubt देती है। इसी वजह से अमेरिका, European Union और 13 दूसरे देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में WHO की इस रिपोर्ट पर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि इस रिपोर्ट को पारदर्शी और स्वतंत्र होना चाहिए। यानी आरोप है कि WHO ने चीन के दबाव में आकर ये रिपोर्ट तैयार की। ख़ुद WHO के चीफ़ Tedros Adhanom ने मार्च महीने में जारी की गई इस रिपोर्ट से ख़ुद को अलग कर लिया है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि चीन ने उनकी टीम से डेटा को छिपाया था और लैब लीक थ्योरी पर और जांच की आवश्यकता है। उन्होंने ये भी कहा था कि WHO इन सभी थ्योरी पर अध्ययन कर रहा है। यानी WHO की रिपोर्ट से WHO के चीफ़ ने ही ख़ुद को अलग कर लिया है.
इसी साल जनवरी में चीन और WHO की संयुक्त टीम ने कई संस्थानों का दौरा किया था और इस दौरान ये टीम Wuhan Institute of Virology भी पहुंची थी। ये वही रिसर्च इंस्टिट्यूट है, जहां लैब से कोरोना वायरस की उपत्पत्ति का दावा किया जाता है। लेकिन इसे लेकर WHO ने कोई ठोस जानकारी नहीं दी। बड़ी बात ये है कि WHO ने पूरी तरह से भी इस बात को नहीं नकारा कि ये वायरस वुहान की इसी लैब से फैला है।
WHO पर चीन के दबाव की आशंका इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि जब WHO के 13 विशेषज्ञों की टीम चीन पहुंची थी तो दो विशेषज्ञों को चीन ने वुहान पहुंचने से पहले ही रोक दिया था। तब चीन ने इन लोगो के कोरोना संक्रमित होने की सम्भावना जताई थी और कहा था कि इनके शरीर में Antibodies मिली है। लेकिन आरोप लगते हैं कि चीन ने ऐसा करके पूरी जांच को ही सेट कर दिया।
WHO की एक टीम फरवरी में वुहान गई थी. इस टीम में शामिल सदस्यों ने आरोप लगाया था कि चीन ने WHO के साथ वायरस से संबंधित सभी डेटा साझा नहीं किया और जांच को प्रभावित किया है। यानी चीन को लेकर WHO का संदिग्ध रुख़ है, जिसने वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच की मांग तेज़ कर दी है. वहीं दुनिया भर के देशों से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स में भी चीन को शक की नज़रों से देखा जा रहा है. दुनियाभर के 18 वैज्ञानिकों का एक लेख Science Journal में प्रकाशित हुआ. इस लेख में इन वैज्ञानिकों ने कहा था कि WHO की जांच रिपोर्ट संतुलित और निष्पक्ष नहीं है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के एक अख़बार में हाल ही में छपी एक रिपोर्ट में चीन की सेना PLA की तरफ से तैयार किए गए एक रिसर्च पेपर के बारे में बताया गया, जिसमें चीन के वैज्ञानिक वर्ष 2015 में कोरोना वायरस को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने पर चर्चा कर रहे थे। यानी वर्ष 2015 में ही इस पर चीन ने शोध कर लिया था। ऐसे में चीन पर शक बढ़ना भी लाज़मी है।
पिछले डेढ़ साल में कोरोना वायरस ने दुनिया को बदल कर रख दिया है। ऐसे में
अगर इस वायरस की उत्पत्ति वुहान लैब में हुई तो ये सच सामने आना ही चाहिए और इसके लिए WHO को निष्पक्ष भूमिका निभानी होगी। जबकि वो ऐसा नहीं कर रहा है।